Bhoramdev Mandir is called Khajuraho of Chhattisgarh by people. These are very famous temples which display many erotic symbols. It is a place that historians and people travel from all over the world to learn about.
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Bhoramdev Mandir | भोरमदेव मंदिर
भोरमदेव मंदिर 11 शताब्दी में बना ऐतिहासिक एवं धार्मिक मंदिर हैं। जो मध्यप्रदेश के अजंता-एलोरा, खजुराहो एवं ओड़िसा के सूर्यमंदिर के पूर्व या समकालीन रहा होगा। मंदिर की बनावट इन्ही मंदिरो के जैसा हैं। इस मंदिर की भव्यता, कामुक प्रतीकों, और पुरातात्विक महत्ता को देखने प्रति वर्ष हजारों की संख्या में देश-विदेश से लोग यहाँ आते हैं। Bhoramdev Mandir मध्यप्रदेश के खुजराहो से मिलता-जुलता होने के कारण इसे “छत्तीसगढ़ का खजुराहो” भी कहते हैं।
कवर्धा जिला के मैकाल पर्वत श्रेणी श्रृंखला में स्थित 1100 साल पुराना भोरमदेव मंदिर गोंड जनजातियों का पूजनीय हैं। गोंड समुदाय के लोग भोरमदेव को भगवान् शिव के अंश मानते हैं। मंदिर के निर्माता भगवान् शिव के परम भक्त रहा होगा। इस मंदिर के आसपास बौद्ध, जैन, विष्णु देवता के आकृति बनी हुई हैं, जो लोगो को आकर्षित करती हैं।
Bhoramdeo temple | भोरमदेव मंदिर
कामकला से सराबोर मूर्तियां इंसान को हजारों साल पीछे के भारत में ले जाता हैं। मंदिर की दीवारों में चारों ओर 54 कामुक प्रतिक हैं। इन कलाकृतियों को बहुत बारीकी से उकेरी गयी हैं, सिर्फ कामुक मूर्तियां ही नहीं अपितु वहां स्थित समस्त मूर्तियों को ध्यान पूर्वक बनाया गया हैं। उस काल की पूरा जीवन-शैली, नाच-गाना, भक्ति, शिकार करना तथा वे सब मुद्राएं जो खुशहाल जीवन के प्रतिक हैं। नाचते-गाते आदिवासी, उस काल के मुद्राओं को दिखाते हैं। जहाँ कोई भेदभाव नहीं था। प्रेम ही प्रेम व उनकी एहसास था।
कवर्धा जिला के ग्राम चबूतरा में इसे 5 फुट ऊँचा चबूतरा में बनाया गया हैं। इस मंदिर के निर्माता राजा गोपालदेवराय, नागवंशी शासक हैं। नागर शैली की कालकृति इस मंदिर को 1089 ईस्वी के आसपास ले जाता, जो खुजराहो के समकालीन माना जाता हैं।
पुरातन संस्कृति और स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूना वाले इस मंदिर को दो भागो में विभाजित किया गया हैं। इसके बड़े भाग में शिवलिंग विराजित हैं, जो पूर्वमुखी लिंग हैं। इस मंदिर के खम्बो में भगवान् विष्णु, नरसिंह, वामन, एवं नटराज की मूर्तियां विराजमान हैं। साथ ही इसके दूसरे भाग में भगवान गणेश, सूर्यदेव, कालभैरव एवं राजपुरुष की मूर्तियां स्थित हैं।
16 खम्भों वाले इस मंदिर में तीन प्रवेश द्वार हैं। तीनो ही प्रवेश द्वार में महीन कलाकृतियां की गई हैं। जो आपके मन को मोह सकती हैं। ओडिशा के सूर्यमंदिर के सामान ही तीन समान्तर क्रम में चिन्हो को उकेरा गया हैं। मंडप की लम्बाई लगभग 60 फुट तथा चौड़ाई 40 फुट होगा।
Bhoramdev Mahotsav 2023 | भोरमदेव महोत्सव
सन 1995 से चैत्र कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी को भोरमदेव महोत्सव का आयोजन छत्तीसगढ़ प्रशासन द्वारा किया जाता हैं। जो तीन से चार दिनों तक चलता हैं। इसी दिन यहाँ मेला का भी आयोजन होता हैं। इस वर्ष Bhoramdev Mahotsav 2023, अप्रैल 02 से 04 अप्रैल के बीच मनाया जा सकता हैं।
सावन मास के सोमवार के दिन यहाँ शिव भक्तों का ताँता जल चढाने के लिए लम्बी लाइनें लगी होती हैं। जो यहाँ के श्रद्धा को प्रदर्शित करती हैं।
Bhoramdeo Museum & Boat Ride | भोरमदेव संग्रहालय एवं नौका विहार
खुदाई से प्राप्त सभी अवशेषों को Bhoramdeo Museum के तीन संग्रहालय में रखा गया हैं। इनमे बहुत सारी मूर्तियां जीर्ण-शीर्ण हो गई हैं। साथ ही जगह को छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित करके रखा गया हैं। इतिहासकार इस जगह में जाना जरूर पसंद करेंगे।
भोरमदेव मंदिर के सामने में ही तालाब हैं। जहाँ आप नौका विहार का आनंद बहुत ही कम दाम में उठा सकते हैं।
आसपास के प्रमुख स्थान :—
Madwa Mahal | मड़वा महल
भोरमदेव मंदिर के कुछ ही किलोमीटर दुरी में स्थित 16 खम्बों वाली मड़वा महल हैं। मंडप को छत्तीसगढ़ में मड़वा कहते हैं। जैसे की इसके नाम से ही स्पष्ट हैं। इस महल में विवाह संबधी कार्य किये जाते रहे होंगे। इस मंदिर की बनावट भी भोरमदेव मंदिर जैसे ही हैं। यहाँ भी कामुक मूर्तियां की प्रतिक बनी हुई हैं।
Chherki Mahal | छेरकी महल
चबूतरा ग्राम से कुछ ही दुरी में छेरकी महल हैं। जहाँ से आज बकरी के सामान गंध आती हैं। इसी कारण से इस महल को Chherki Mahal कहते हैं।
Laxman Jhula | लक्ष्मण झूला
इस Place में लक्ष्मण झूला भी बना हुआ हैं। जहाँ घूमकर इस जगह की खूबसूरती को अच्छे से निहार सकते हैं।
How to Reach, Accommodation & Food
- हवाई मार्ग —- नजदीकी हवाई अड्डा राजधानी रायपुर स्थित स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा माना हैं।
- रेल मार्ग — निकटम रेलवे जंक्शन राजधानी रायपुर तथा रेलवे स्टेशन जिला कबीरधाम से 17 किमी एवं बिलासपुर से इनकी दुरी 120 किमी हैं।
- सड़क मार्ग —- कुछ प्रमुख शहरों से इनकी दुरी कुछ इस प्रकार पड़ेगी –
Raipur – 135 Km
Kawardha – 17 Km
Bilaspur – 120 Km
Bilai – 134
Rajnandgaon – 150 Km
Bhoramdeo temple video
this video creadit by YouTuber – DK808
When Bhoramdeo Mahotsav 2023?
Waiting from 02nd to 04th April till mid-April.
Why is Bhoramdev called Khajuraho of Chhattisgarh?
Bhoramdev Mandir is also known as “Khajuraho of Chhattisgarh” due to its resemblance to Khujraho of Madhya Pradesh.
It is Historical Place?
yes.
Is there entry fees?
No.
Cgtourism Opinion —- दोस्तों यह place बहुत ही रहस्य पूर्ण से भरा हुआ हैं। छत्तीसगढ़ या छत्तीसगढ़ के बाहर से हैं आप तो फिर भी इस जगह पे कम से कम एक बार जरूर आइये। छत्तीसगढ़ के इतिहास के बारे जानिएगा। हमें आशा हैं की यह Place आपको अच्छा लगा। अपना अनुभव या राय नीचे Comment Box में जरूर लिखें।
भोरमदेव महोत्सव में पार्टिसिपेट करने के लिये फॉर्म कब से और कँहा से प्राप्त किया जा सकता है 🙏
21 se 23 march h. registration malum nhi h.