आधुनिक और शांति वाले जगहों का अद्भुत नमूना हैं Champaran Chhattisgarh Tourism. 6 एकड़ में विस्तृत यह भूमि शांति से परिपूर्ण हैं।
Champaran temple Champaran Chhattisgarh | चम्पारण मंदिर चम्पारण छत्तीसगढ़
चम्पारण मंदिर दो चीजों के लिए बहुत ही प्रसिद्द हैं 1. चम्पेश्वर महादेव, 2. पुष्टि वंश के संस्थापक महाप्रभु वल्लभाचार्य। Champaran temple Champaran Chhattisgarh राज्य के रायपुर जिला में स्थित हैं। यह जगह पंचकोशी यात्रा में से एक हैं। (पंचकोशी यात्रा – फणेश्वर, चम्पेश्वर, बम्हनेश्वर, कोपेश्वर, पटेश्वर).
चम्पारण्य, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 50 किमी दक्षिण पूर्व एवं राजिम से 15 किमी उत्तर-पूर्व में महानदी के पवित्र त्रिवेणी संगम के तट और ऋषि मुनियों की पवन तपोभूमि की छत्रछाया में स्थित हैं।लगभग 6 एकड़ में फैला यह चम्पारण मंदिर, बहुत ही शांत वातावरण में हमेशा रहता हैं। यहाँ स्वछता, शांति को अधिक महत्व दिया जाता हैं। महाप्रभु के इस मंदिर में आपको वाराणसी के मंदिरो के जैसा ही डिजाइन देखने को मिल जायेगा।
History of Champeshwar Mahadev temple | चम्पेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथा अनुसार 800 वर्ष पूर्व घनघोर जंगल में गांव का ग्वाला, गायों को लेकर जंगल की ओर घास चराने के लिए जाता था। एक दिन वह रोज की तरह गांव की सभी गाय को जंगल की तरफ ले गया, लेकिन जब शाम को वापस गायों को गौशाला ला रहा था, तभी अचानक गायों के झुण्ड में से राधा नामक बांझोली गाय रम्भाती हुई घनघोर जंगल की ओर भाग निकली। उस वन में पेड़-पौधों की सघनता इतनी अधिक थी की वहां कोई घुस जाये, तो कुछ भी दिखाई नहीं देता था। राधा बांझेलि गाय रोज सुबह-शाम इसी तरह उस घनघोर जंगल में भाग जाया करती थी। ऐसा करते हुए पूरा एक सप्ताह हो गया। ग्वाला चरवाहा सोच में पड़ गया की आखिर यह गाय रोज जंगल की ओर क्यों भाग जाती हैं।
उसके मन में एक कौतुहल पैदा हो गया की आखिर बात क्या हैं? एक दिन वह ग्वाला उसके पीछे हो लिया। जंगल सघन और घनघोर होने और लता-बेल की वजह से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए ग्वाला चरवाहा ने देखा की एक शमी वृक्ष के नीचे खड़ी राधा बांझेलीं गाय के थान से दूध सतत धार के अद्भुत लिंक के ऊपर गिर रही हैं। उस गवाला ने गांव में जाकर बताया लेकिन किसी ने यकीं नहीं किया, कुछ गांव वालों ने इस कथन को जांचने के लिए उस ग्वाले के साथ अगले दिन चले गए। उन्होंने देखा की गाय भगवान् शिव के लिंग विग्रह, त्रिमूर्ति जिस पर के महादेव, माता पार्वती एवं गणेश जी प्रतिबिंबित थे, उस परअपने थनों से अजस्र दूध प्रवाहित कर रही थी। बाद में मंत्रोच्चर पूजा आराधना की गई। गांव में बैठकर भगवान् महादेव के देवस्थल को अनावृत्त किया गया। बहुत बाद में झोपडीनुमा मन्दिर के स्थान पर पक्का मंदिर बनाया गया। जो प्राचीन तीर्थ स्थल श्री चम्पेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्द हैं।
शिव भक्त इस महादेव मंदिर में महानदी का जल चढ़ाते हैं एवं पूजा-अर्चना करते हैं। यह Champeshwar Mahadev temple सुबह 8 बजे से 1 बजे तक और 3 बजे से शाम 7 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता हैं। इस मंदिर की देखरेख ग्राम का ट्रस्ट करते हैं।
Story of Shree Mahaprabhu Vallabhacharya ji | श्री महाप्रभु वल्लभाचार्य जी की कहानी
15वीं शताब्दी के महान दार्शनिक श्री महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मस्थली चम्पारण्य हैं। दक्षिण भारत में कृष्णा नदी के तट पर स्तभाद्रि के निकट स्थित अग्रहार में अगस्त्य मुनि के वंशज कुम्भकार हुए। कालांतर में वे काकखंड में आकर बस गए तथा परिवार सहित तीर्थ यात्रा पर निकल कर काशी पहुंचे।
काशी पर मलेच्छों के आक्रमण के कारण वे सब वापस अपने मूल स्थान की ओर चल पड़े। मार्ग में राजिम नगरी के निकट चंपाझर नमक ग्राम में श्री चम्पेश्वर महादेव के दर्शनार्थ यहाँ पधारे। यही महाप्रभु वल्लभाचार्य जी की माता वल्लमागारु ने संवत 1535 की वैशाख कृष्ण पक्ष एकादशी रविवार (ई. 1479) की रात्रि एक बालक को जन्म दिया। नवजात बालक के जीवन की आशा कम होने की संभावना परिलक्षित हुई, जिससे बालक को शमी पेड़ की कोटर में छोड़कर आगे निकल पड़े। दूसरे दिन ही वापस आकर बालक की तलाश की, तो देखा की स्वयं अग्निदेव बालक की रक्षा कर रहे हैं। इस बालक को चार नाम दिए गए – 1. देवनाम- कृष्ण प्रसाद, 2. मास नाम- जनार्दन, 3. नक्षत्र नाम- श्रविष्ठ, 4. प्रसिद्द नाम – वल्लभ। यही बाल आगे चलकर श्री महाप्रभु वल्लभाचार्य हुए।
बाल्यकल में कुशाग्र बुद्धि होने के कारण वे बाल सरस्वती भी कहलाये। गुरु विष्णुचित से उन्होंने यजुर्वेद, तुरुमल दीक्षित से ऋग्वेद, पिता से अथर्व वेद व् उपनिषदों की शिक्षा पायी। धार्मिक दृष्टि से भारत में उस समय अनेक मतों का प्रचलन था। श्री महाप्रभु वल्लभाचार्य ने भागवत पुराण के आधार पर शुध्द द्वैत मतानुसार पुष्टि मार्ग का प्रवर्तन किया। श्री महाप्रभु वल्लभाचार्य, श्री रामानंद जी, कबीर, गुरुनानक देव, श्री रामदास, संत तुकाराम, मीरा, श्री चैतन्य महाप्रभु के समकालीन रहें।
श्री कृष्ण के अनन्य भक्त श्री महाप्रभु वल्लभाचार्य ने सम्पूर्ण भारत की तीन बार पैदल यात्रा की तथा परिक्रमा के दौरान भागवत सप्ताह का पठन किया। भागवत पठन के स्थानों पर महाप्रभु जी की बैठकें हैं। पुरे भारत वर्ष में इस तरह के 84 बैठकें हैं।
चम्पारण में उनकी दो बैठकें हैं। पहली बैठक शमी वृक्ष के नीचे उनकी जन्मस्थली पर तथा दूसरी छठी पूजन के स्थान पर स्थित हैं। यह भी उल्लेखनीय हैं की यहाँ कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती हैं। वल्लभाचार्य के भक्त यहाँ पर स्थित महानदी को यमुना का रूप मानते हैं।
श्री महाप्रभु वल्लभाचार्य जी ने पुष्टि मार्ग की स्थापना की थी और इसी कारण यह स्थान वैष्णव संप्रदाय के पुष्टि मार्गीय अनुयायियों का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता हैं। आपका
चम्पारण मेला | Champaran Mela
प्रत्येक वर्ष वैशाख कृष्ण पक्ष एकादशी को वल्लभाचार्य जी का जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता हैं, जिसमें देश-विदेश के अनेक श्रध्दालु भाग लेते हैं और भव्य चम्पारण मेला का आयोजन होता हैं। साथ ही सावन महीना में भक्तगण चम्पेश्वर महादेव में जल अभिषेक करने हजारों की संख्या में आते हैं।
Housing system and how to reach Champarany
Housing system (आवास)– Champarany में मंदिर ट्रस्ट का विश्राम गृह एवं निकटतम शहर राजधानी रायपुर में अत्याधुनिक होटल ठहरने के लिए उपलब्ध हैं। Yatradham.org की वेबसाइट में आप विश्राम गृह में Online Booking ठहरने के लिए करा सकते हैं। Link – Yatradham.org
भोजन व्यवस्था मंदिर के ट्रस्ट द्वारा लगभग 50रु. की दर से प्रदान किया जाता हैं।
How to Reach – यहाँ पहुंचने के छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग द्वारा बुकिंग भी कराया जाता हैं। कुछ माध्यमों को नीचे listing किया गया हैं-
- वायु मार्ग – छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर से 45 किमी के दुरी में निकटतम हवाई अड्डा हैं, जो मुंबई, दिल्ली, नागपुर, हैदराबाद, बेंगलुरु, कोलकाता, विशाखापट्नम एवं चेन्नई से जुड़ा हैं।
- रेलमार्ग – हावड़ा-मुंबई मुख्य रेलमार्ग पर रायपुर से 45 किमी के दुरी पर रायपुर रेलवे जक्शन हैं।
- सड़क मार्ग – रायपुर शहर से निजी वाहन अथवा नियमित परिवहन बसों द्वारा Champarany तक सड़क मार्ग से यात्रा की जा सकती हैं। साथ ही सभी प्रकार (रेल एवं सड़क मार्ग) की माध्यमों से जुड़ा हुआ, महासमुंद जिला से 25 किमी के दुरी में स्थित हैं।
Nearest Places in Champaran Chhattisgarh tourism
दोस्तों आप Champaran Chhattisgarh tourism के आसपास बहुत से tourism स्थलों को देख सकते हैं, जिसमे आपको जलप्रपात से लेकर प्राचीन मंदिरों के दर्शन करने को मिल सकता हैं –
- राजिम – राजिम विभिन्न मंदिरों का गढ़ हैं, जहाँ देखने लिए बहुत सारे प्राचीन मंदिर व त्रिवेणी संगम हैं।
- राजिम माघी पुन्नी मेला – एक माह तक चलने वाला यह मेला राजिम में लगता हैं। जो महाशिवरात्रि के बाद समाप्त हो जाता हैं। इस मेला को देखने लाखो की संख्या में लोग यहाँ आते हैं।
- जंगल सफारी रायपुर – विभिन्न प्रकार के जानवरों के लिए महशूर हैं जंगल सफारी। इसमें खुले में विचरण करते शेर, बाघ, बंगाल टाइगर, जैसे जानवरों को अपने आँखों से दीदार कर सकते हो। जिसकी दुरी मात्र 23 किमी चम्पारण्य से हैं।
- रायपुर – राजधानी रायपुर में आप एन्जॉय कर सकते हैं।
- घटारानी जलप्रपात – रायपुर के सबसे नजदीक और खूबसूरत जलप्रपात हैं यह, जिसकी दुरी यहाँ से 44 किमी हैं।
- जतमई वॉटरफॉल – बहुत ही मनमोहक जलप्रपातों के लिए प्रसिद्द यह जलप्रपात घटरानी से बहुत ही कम दुरी पर, 10Km में स्थित हैं। तथा यहाँ से 42 किमी पर स्थित हैं।
चम्पेश्वरनाथ महादेव मंदिर, चंपारण छत्तीसगढ़ by Kaushal Goswami & FaQ
this video creating by kaushal goswami Youtuber in chhattisgarh
Raipur to Champaran Distance?
45Km.
Champaran Chhattisgarh PIN Code?
493885
Mahaprabhu Vallabhachary Date fo Birth?
1479 century.
Parking arrangement?
Yes.
Is food arranged?
Yes. Minimum cost Rs.50
Is accommodation arranfged?
Yes. Online booking yatradham.org