डंकनी-शंखनी नदी के तट पर विराजित दंतेश्वरी माता (Danteshwari Mata) बस्तर क्षेत्रवासी ही नहीं अपितु पुरे छत्तीसगढ़ के लोगो के लिए पूजनीय हैं।
दंतेश्वरी मंदिर छत्तीसगढ़ | Danteshwari Mandir Chhattisgarh
बस्तर की आराध्य माता दंतेश्वरी मंदिर डंकनी-शंखनी के संगम स्थल पर स्थित हैं। जो पूरी तरह से बस्तरवासियों के लिए आस्था और श्रद्धा का प्रतिक हैं। Danteshwari Mandir के माता को 52 शक्तिपीठ के नाम से पूजा जाता हैं। यहाँ के लोग कोई भी पर्व, त्यौहार देवी माँ के चरणों में पूजा करके करते हैं। ऐसा कहा जाता हैं की माता की पूजा कोई भी शुभ कार्य करने से पहले की जाती हैं। यहाँ के प्रत्येक वासी माता को अपनी आराध्य माता मानते हैं।
शक्ति की अवतार, छत्तीसगढ़ की प्राचीन मंदिर बस्तर राजा की इष्ट देवी हैं। जो लगभग 800 वर्षो विराजित हैं। यह मंदिर में 32 लकड़ी के खम्बो पर स्थापित हैं जो पूर्णतः लकड़ियों से निर्मित हैं। दंतेश्वरी मंदिर में प्रवेश करने से पूर्व आपको धोती/लुंगी पहनकर ही माता जी की दर्शन कर सकते हैं।
मंदिर को चार हिस्सों में बनाया गया हैं- गर्भगृह, महामंडप, मुख्यमंडप, और सभामंडप। महामंडप और सभामंडप में आपको खुदाई से प्राप्त प्राचीन मूर्तियों व भैरवनाथ व नंदी की मूर्ति को देखने को मिलेगा। साथ ही आपको शिलालेख भी दिखाई देगा। मुख्य मंडप में आपको भगवन विष्णु, माता लक्ष्मी जी की मूर्तियां देखने को मिल जाएगी। साथ ही आपको इसमें ग्रेनाइड पत्थरों से निर्मित गणेश जी की विशाल मूर्ति देखने को मिलेगा। जिसे आप चरणस्पर्श करके आगे बढ़ सकते हैं।
गर्भ गृह में विराजित माता, जो छः भुजाये लिए हुए जिसके दाएं हाथ में खड्ग, शंख, त्रिशूल और बाएं हाथ में घंटी, कमल और राक्षस के बाल पकडे/धारण किये हुए हैं। माता जी की यह एकलौती मंदिर हैं जो नरसिंघ अवतार में विराजित हैं जिसके उपर चाँदी की छत्र निर्मित हैं।
Danteshwari Mandir में पुजारी धाकड़ जाती (क्षत्रिय) के होते हैं। नफी, बिरकाहली जैसे लकड़ी निर्मित वाद्ययंत्रो का प्रयोग आरती के समय करते हैं।
दंतेश्वरी माता मंदिर इतिहास
Danteshwari Mata की History कई किवदंतियों व शिलालेख में मिलता हैं। धार्मिक किताबों में भी कही-कही माता जी के उल्लेख मिलते रहते हैं।
#हमारे भारतीय ग्रंथो के अनुसार – दक्ष प्रजापति की बेटी सती के मृत्यु के बाद भगवान विष्णु जी ने उनके 51 टुकड़े किये थे। जो सभी जगह शक्तिपीठों के रूप में प्रचलित हुए। लेकिन बस्तर के दंतेवाड़ा में माता सती की दन्त (दांत) गिरा था जिसके कारण माता जी के इस मंदिर को 52 शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता हैं।
#इतिहासकारों के अनुसार यह मंदिर काकतीय राजाओं की कुल देवी हैं। जिसे पुरे बस्तर संभाग की कुल देवी कहा जाता हैं।
एक कथा के अनुसार बस्तर साम्राज्य के सबसे पहले काकतीय राजा अन्नम देव अपने राज्य वारंगल को प्रसारित करना चाहते थे। माताजी ने उन्हें आशीर्वाद दिए की जहाँ-जहाँ मेरे कदम पड़ेंगे वह प्रदेश तुम्हारा होगा। शर्त उन्होंने रखी की वह पीछे मुड़कर नहीं देखेंगे। जिस-जिस प्रदेश से राजा जाते वह राज्य राजा का हो जाता था।
डंकनी – शंखनी नदी के पास माता की पायल की आवाज सुनाई नहीं देने के कारण राजा ने पीछे मुड़कर देखा और माता वही अपने चरणों के निशान छोड़कर चले गए। कहा जाता हैं नदी में पानी होने के कारण उनके पायलों की आवाज नहीं आई। तब से लेकर आज तक बस्तर राजाओं की कुल देवी माँ दंतेश्वरी हैं। राजा ने वहां मंदिर का निर्माण कराया, यहाँ की सभी कार्य माता की पूजा-अर्चना के बाद ही की जाती हैं।
ऐसा कहा जाता हैं की यहाँ 1883 के पहले पशुबलि की प्रथा थी। 1883 के बाद इन प्रथाओं को बंद कर दिया गया।
दंतेश्वरी मेला एवं महत्वपूर्ण स्थान | Danteshwari Mela
होली वाले दिनों के कुछ सप्ताह पहले यहाँ आसपास के जिलों के सभी देवी-देवताओं को लाया जाता हैं। तथा फाल्गुन मास के पहले 9वें दिन पूजा, 10वें दिन परिक्रमा व होलिका दहन तथा 11वें दिन होली मनाई जाती हैं। जिनका आयोजन भव्य होता हैं एवं 12वें दिन सभी देवी-देवताओं की विदाई की जाती हैं। यहाँ कुँवार नवरात्रि और चैत्र नवरात्री में भक्तो व श्रद्धलुओं की संख्या बहुत अधिक होती हैं।
भुनेश्वरी माता –
दंतेश्वरी माता की छोटी बहन भुनेश्वरी माता जिसे लोग मावली माता, या मणिकेश्वरी देवी के नाम से जानते हैं। यह मंदिर 10 शताब्दी में बनाया गया हैं। जिसमे माता की मूर्ति चार फिट ऊँची मानी जाती हैं। इसके गर्भ गृह में नौ ग्रहों की प्रतिमाएं हैं। माता दंतेश्वरी व भुनेश्वरी माता की पूजा-अर्चना व भोग एक साथ ही लगायी जाती हैं।
चरण चिन्ह –
माता जी चरण चिन्ह आज भी उस जगह पर चिन्हित हैं जहाँ राजा ने उसे पलटकर देखने की कोशिश की थी।
गरुड़ स्तम्भ –
माता के मंदिर के सामने एक स्तम्भ हैं जिसे गरुड़ स्तम्भ कहते हैं। कहा जाता हैं इस स्तम्भ में दोनों हाथ के मिलने पर माताजी मन्नते पूरी करते हैं।
ज्योति कलश –
यहाँ प्रज्ज्वलित ज्योति कलश पिछले 800 वर्षों से निरतंर जल रहा हैं।
How to Reach Danteshwari Temple & Accommodation
पहुंचने के तीनो माध्यम में आप यहाँ सुगमता से पहुंच सकते हैं। हम आपको माध्यमों के बारे में नीचे अवगत करा रहे हैं –
- हवाई मार्ग – निकटतम मिनी हवाई अड्डा जगदलपुर हैं, जो विशाखापट्नम और रायपुर से जुड़ा हुआ हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्य हवाई अड्डा राजधानी रायपुर माना में स्थित हैं।
- रेलवे मार्ग – निकटतम रेलवे स्टेशन दंतेवाड़ा हैं। छत्तीसगढ़ की रेलवे जक्शन रायपुर और बिलासपुर में स्थित हैं।
- सड़क मार्ग – सभी बड़े शहरों से इनकी दुरी कुछ इस प्रकार से हैं –
- Raipur – 352 Km
- Bilaspur – 470 Km
- Jagdalpur – 85 Km
- Vishakhapattanam – 392 Km
- Bhawanipatna – 270 Km
Accommodation – जगदलपुर, दंतेवाड़ा, गीदम, बचेली एवं किरन्दुल में आपको नया धर्मशाला, पुराना धर्मशाला, PWD रेस्ट हाउस, सर्किट हाउस, विश्राम गृह, NMDC गेस्ट हाउस तथा इनके अलावा आपको बहुत सारे निजी होटल्स देखने को मिल जाते हैं। यहाँ आप आसानी से एक दिन रुक सकते हैं।
Nearest Place in Danteshwari Temple
Some Nearest popular places in Danteshwari temple –
- Mama-Bhanja Temple
- Indravati National Park
- Sat Dhara Waterfall
- Barsur
- Bailadila Mountain
- Memory Pillor of Gamawada
- Dolkal Ganesh
- Chitrakoot waterfall
Tourism Package in Unxplored Bastar
दोस्तों Unxplored Bastar के टीम द्वारा Tracking, Activity एवं पर्यटन स्थलों की की Package उपलब्ध कराती हैं। आप भी उनके Tracking tourism में शामिल होंगे।
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Maa danteshwari Mandir Dantewada Chhattisgarh | Explore Chhattisgarh
This Video Provided by YouTuber – DK808
Best time to visit Danteshwari temple?
October to Decmber.
Danteshari temple timing?
Morning 5:30 AM and Evening 6:30 PM.
Whare is Danteshwari temple?
Bastar District. State – Chhattisgarh.
Danteshwari temple Contect Number?
7898364192,7000921144, maadanteshwari@maadanteshwarijagdalpur.in