Kaushilya Mata Mandir Chandkhuri

माता कौशिल्या की मंदिर पुरे विश्व में सिर्फ छत्तीसगढ़ राज्य की चंदखुरी में स्थित हैं। जिसमें माता कौशिल्या श्री राम भगवान को गोद में लिए हुए हैं।

Kaushilya mata माता कौशिल्या photo

कौशिल्या माता मंदिर चंदखुरी | Kaushilya Mata Mandir Chankhuri Raipur Chhattisgarh

विश्व की एकलौता मंदिर “कौशिल्या माता मंदिर” छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिला के चंदखुरी नामक गांव में स्थित हैं, जो 126 तालाबों के लिए महशूर हैं। राजधानी रायपुर से इस जगह की दुरी मात्र 17 किलोमीटर हैं।

यह मंदिर 7वीं शताब्दी के आसपास बना हुआ हैं। इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए पहले लोग नाव, या तैरकर माता जी की दर्शन करते थे। वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मार्ग निर्माण कर दिया गया हैं।

khaushilya mata mandir photo gate


यह मंदिर जलसेन नामक तालाब में पाया गया हैं। ऐसा कहा जाता हैं इस मंदिर की खोज एक भैंस की वजह से हुई हैं। जो अपना रास्ता भटक गयी थी। इस मंदिर के आसपास वर्तमान में सात तालाब स्थित हैं।

इतिहासकारों के अनुसार” इस ग्राम का नाम पहले चंद्रपुरी था, जो कालांतर में चंदखुरी के नाम से जाना जाता हैं। यह जगह माता कौशिल्या की जन्मस्थली और श्रीराम भगवान की ननिहाल भी हैं। इस कारण से इस जगह की महत्ता अपने आप ही बढ़ जाती हैं।

महाकौशल के राजा भानुमंत की बेटी माता कौशिल्या हैं, जिन्होंने आयोध्या के राजा दशरथ के साथ विवाह करके भगवान श्री राम को अवतरित किया।

मंदिर की विशेषता – Kaushilya Mata Mandir Chandkhuri में प्रवेश करने से पहले भगवान् श्रीराम जी की 51 फ़ीट की ऊँची प्रतिमा बनी हुई हैं, जो दूर से ही दिखाई देने लग जाती हैं। जिसे बिल्हा स्टोन नामक पत्थर से निर्मित किया गया हैं।
मंदिर की सबसे खास बात यह हैं की माता श्रीराम जी को गोद में लिए हुए हैं, तथा मूर्तिकार ने भगवन राम के मुख को माता के मुख से बड़ा निर्मित किया हैं। जिसके दर्शन मात्र से मन में आनंद की हिलोरे मारने लग जाती हैं। यहाँ लोगों की विश्राम की उत्तम व्यवस्था की गई हैं।

भगवान् श्रीराम जी की 51 फ़ीट की ऊँची प्रतिमा

कौशिल्या माता मंदिर की मान्यता

“मान्यता” – इस जगह पर दो मान्यता सबसे अधिक प्रचलित हैं –

#01 – ऐसा कहा जाता हैं लंका युद्ध के बाद भगवान श्रीराम के साथ सुसैन वैद्य भी भारत आ गए थे, और चंद्रपुरी में निवास करने लगे थे। सुसैन वैद्य के बारे में कहा जाता हैं- लक्ष्मण जी, इंद्रजीत (मेघनाथ) के बाण से मूर्छित होने के बाद, इसी वैद्य ने लक्ष्मण जी को ठीक किया था।

#02 – दूसरी मान्यता यह हैं की भगवान् श्रीराम जब वनवास से वापस आयोध्या आये तब तीनों माताओं ने उनका राज्याभिषेक किया। उसके बाद तीनों माता कौशिल्या, सुमित्रा व कैकयी, तपस्या के लिए दंडकारण्य चंद्रपुरी में आकर तप करने लगे। कई वर्षो तक तपस्या में लीं थी। जब यहाँ के लोगों ने इस जगह पर स्थित तालाब के जल को गलत कामो में उपयोग करने लगे। तब माता सुमित्रा और कैकयी रूठ कर अन्यत्र जगह चली गयी तथा माता कौशिल्या इस जगह पर अवतरित हो गई।

pond in Chandkhuri

राम वन पथ गमन | Ram Van Path Gaman

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा दंडकारण्य वन में श्रीराम जी जहाँ-जहाँ रुके हैं, उस जगह को चिन्हित किया हैं। जिसकी संख्या 51 हैं। वर्तमान में 9 जगहों के जीर्णोद्वार को महत्व दिया जा रहा हैं।

  • सीतामढ़ी हर चौका
  • रामगढ
  • शिवरीनारायण
  • तुरतुरिया
  • चंदखुरी
  • राजिम
  • सिहावा (सप्त ऋषि आश्रम)
  • जगदलपुर
  • रामाराम (सुकमा)

ऐसी मान्यता हैं भगवान् राम सीतामढ़ी हर चौका में प्रवेश किये तथा अंतिम रुकने की स्थान रामाराम जो सुकमा में स्थित हैं।

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