शिवनाथ नदी के दो भागों में बटने से बने बहुत ही खूबसूरत आईलैंड, जो ईशानकोण में बहने से इसे धार्मिक महत्ता मिलती हैं। जो मालदीव की खूबसूरती से भी अद्भुत हैं। छत्तीसगढ़ और अन्य प्रदेशों से आने वाले लोग इसे Madku Dweep के नाम से जानते हैं।
मदकू द्वीप क्यों प्रसिद्ध हैं। यहाँ कैसे पहुंचे, इस जगह का धार्मिक महत्व, और यहाँ पुरातात्विक महत्व की सम्पूर्ण जानकारी इस पोस्ट के माधयम से आपको मिल जायेगा। मुझे आशा हैं की आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़कर जाने का जरूर प्रयास करेंगे।
Madku Dweep | मदकू द्वीप मुंगेली छत्तीसगढ़
खुदाई से प्राप्त गुप्तकालीन और कल्चुरी शासन काल की मूर्तियां इतिहास में रूचि रखने वालों को, ऋषि माण्डूक्य द्वारा रचित मंडूक उपनिषद, धार्मिक लोगों को आने से रोक नहीं पाता, प्रकृति प्रेमियों को यहाँ के दोनों आइलैंड की खूबसूरती अपने आप मोहित कर लेती हैं।
मदकू द्वीप सभी तरह के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इस जगह पर नौका विहार करके आना, अपने आप में अविश्मरणीय यादें जेहन में समेटती हैं। इस जगह पे खुदाई के पश्चात बहुत सारे शिवलिंग प्राप्त हुए हैं। जो 10वीं और 11वीं सदी के हो सकते हैं।
Madku Dweep History
प्रवेश करने पर मुख्य द्वार के प्रारम्भ में ही धूमेश्वर महादेव और श्री राम केंवट मंदिर हैं। इसके कुछ दूर चलने के बाद आपको राधा-कृष्ण के मंदिर, गणेश भगवान्, हनुमान जी की प्राचीन मूर्ति, जो खुदाई से प्राप्त हुए हैं, देखने को मिल जाता हैं।
सन 1985 के खुदाई के दौरान बहुत सारी मूर्तियां प्राप्त हुई। जिसमें शिव मंदिर, उमा-महेश्वर मंदिर, गरुड़रुधा लक्ष्मी – नारायण मंदिर, तथा ग्यारह स्पार्तलिंग प्राप्त हुए। पुरातत्व वैज्ञानिक और इतिहासकार के अनुसार इनमे मिले सभी मंदिर व पाषाण अवशेष 10वीं – 11वीं शताब्दी के हो सकते हैं।
खुदाई से प्राप्त अवशेष में मंदिर, लघु पाषाण अवशेष के अलावा दो शिलालेख प्राप्त हुए हैं। पहला लेख 3री सदी का ब्राम्ही लेख हैं। तथा दूसरा शिलालेख शंखलिपि से मिलता हैं। जो कल्चुरी कालीन शासन और गुप्तकाल में ले जाता हैं।
Madku Island | मदकू द्वीप मेला
मदकू द्वीप का नाम धार्मिक एवं पवित्र ग्रन्थ मंडुकोपनिषद के रचियता ऋषि माण्डूक्य के नाम से पड़ा। ग्रंथो में उल्लेख मिलता हैं, शिवनाथ नदी ईशान कोण दिशा में बहने के कारण, ऋषि ने इसी पवित्र जगह पर बैठकर उपनिषद की रचना की।
इस जगह पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं – पहला एनीकेट से होते हुए, और दूसरा रास्ता नदी पार करके।
50 फीट से भी अधिक गहराई वाले नदी पार करके, नौका विहार करते हुए Madku Dweep पहुंचना, बहुत ही रोचक लगता हैं।
Evergreen और जैवविविधता से परिपूर्ण और ऋषि माण्डूक्य के तपोभूमि वाले इस स्थान पर प्रतिवर्ष हिन्दू और मसीही समाज के लोगों के द्वारा भव्य मेला का आयोजन किया जाता हैं। आसपास और दूरदराज के लोग यहाँ के मेला देखने पहुंचते हैं।
How to Reach Madku Island Mungeli Chhattisgarh
अन्य प्रदेश से हैं राजधानी रायपुर के लिए सभी महानगरों से हवाई यात्रा संभव हैं। राजधानी रायपुर और बिलासपुर रेलवे जंक्शन से सभी शहरों से अच्छी तरह की रेल कनेक्टिविटी हैं। आप आराम से यहाँ तक की यात्रा कर सकते हैं।
सड़क मार्ग से यात्रा करना और भी सुगम हैं। यहाँ तक सड़क राजमार्ग से लगभग पूर्णतः जुड़ा हुआ हैं। नीचे शहरों से उनकी दुरी को प्रदर्शित कर रहे हैं –
RAIPUR | 85 KM |
BILASPUR | 40 KM |
MUNGELI | 52 KM |
Tourist Places in Mungeli District
दोस्तों मुंगेली जिला के पर्यटन स्थलों को हम नीचे दर्शा रहे हैं। CGTOURISM.IN मुंगेली जिला के ऑफिसियल वेबसाइट यहाँ के पर्यटन स्थल की जानकारी दे रहा हैं।
- SHIVGHAT
- KHARAGHAT
- SETGANGA
- KHUDIA RESERVOIR
- SATYANARAYAN TEMPLE
- ACHANAKMAR TIGER RESERVE
- MOTIMPUR (AMAR ISLAND)
- HATHNIKALA TEMPLE
Madku Dweep Mungeli Video
Madku Dweep video making & Credit YouTuber – Chhattisgarh Rider
Madku Dweep Distance form Raipur?
85 Km.
मदकू द्वीप कहाँ हैं ?
जिला मुंगेली , छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित हैं। पहले यह बिलासपुर जिला के अंतर्गत आता था। मुंगेली जिला बनने के बाद से यह अलग हो चूका हैं।
मदकू द्वीप में नौका विहार का शुल्क कितना हैं?
प्रति व्यक्ति 100 रु.
मदकू आइलैंड किस नदी पर बना हुआ हैं?
शिवनाथ नदी।
मदकू द्वीप में मेला का आयोजन कब होता हैं?
बसंत पंचमी के आसपास होता हैं।
Opinion – दोस्तों यह आइलैंड धार्मिक और पुरातविक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। यहाँ का हिन्दू और मसीही समाज के लोगो द्वारा मेले का आयोजन होता हैं। इसे देखने के लिए समय निकालकर जरूर पहुंचे।