प्राचीन, प्राकृतिक और संस्कृति धरोहर को संजोकर कर रखा हुआ। ग्यारहवीं शताब्दी की प्राचीन देवालय हैं। जिसे बस्तर एवं छत्तीसगढ़ के लोग Samlur Shiva Temple के नाम से जानते हैं।
इस मंदिर में कैसे पहुंचें, विभिन्न माध्यमों एवं रास्तों से अवगत होंगे। इसके अलावा मंदिर निर्माण व उनकी कुछ किवदंतियों की भी इस पोस्ट में जानकारी देंगे। नागवंशी राजाओं द्वारा निर्मित इस समलूर शिव मंदिर में आप जब भी जाएँ, एक जानकारी लेकर वहां की वातावरण से घुल-मिल जाएँ रहे।

Samlur Shiva Temple Chhattisgarh | समलूर शिव मंदिर दंतेवाड़ा
11वीं शताब्दी में निर्मित यह अत्यंत प्राचीन मंदिर सुमेश्वर देव के शासन काल में निर्मित हुआ हैं। इस जगह पर सावन के महीने में प्रति सोमवार को शिव भक्तों का ताता लगा हुआ होता हैं। Samlur Shiva Temple को 2010 से “पुरातत्व विभाग” द्वारा सरंक्षित करके रखा गया हैं।
दंतेवाड़ा गीदम से कुछ ही किलोमीटर की दुरी वाले इस समलूर शिव मंदिर में श्रद्धा रखने वाले हर श्रद्धालुओं का मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। यही कारण की सावन महीने और महाशिवरात्रि के दिन भव्य मेला का आयोजन होता हैं।
11वीं शताब्दी में नागवंशी शासक – सोमेश्वर देव की दो रानियां प्रथम- सुमल महादेवी एवं द्वितीय- धारण महादेवी नामक महारानियाँ थी। सुमल महादेवी ने यह गांव बसाया, जिसका नाम सुमलूरु रखा गया। कालांतर में समलूर के नाम से जाना जाता हैं। प्राचीन समलूर शिव मंदिर का निर्माण सुमल महादेवी के द्वारा करवाया गया था।
इस मंदिर में प्रवेश करने पर आपको पुरातत्व विभाग द्वारा बोर्ड के माध्यम से जानकारी अवगत कराई गयी हैं। भगवन शिव लिंग मंदिर के प्रवेश द्वार में नंदी जी का मूर्ति स्थापित हैं। जो असामजिक तत्वों या अंग्रेजो के द्वारा क्षतिग्रस्त किया जा चूका हैं। इस गृह में नागवंशी शासको की पहचान करने वाली नाग की प्रतिमा, काली माता की खंडित प्रतिमा स्थित हैं।
मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करने से पूर्व आपको चौखट के ऊपर भगवान् गणेश की उकेरी हुई प्रतिमा दिखाई देगा। तत्पश्चात आपको भगवान् भोलेनाथ की 2 से 3 फ़ीट की ऊंचाई वाले शिवलिंग दिखाई देगा। गर्भ गृह की ऊंचाई लगभग 20 फ़ीट होगा। जो जलहरी मुख लिए पश्चिम की ओर किये हुए हैं। इस मंदिर के ऊपरी भाग में एक गृह और हैं।
ऊपर वाले हिस्से में एक मान्यता यह भी हैं की वहां महाशिव रात्रि के समय भगवन शिव और माता पार्वती एक दिन के लिए निवास करते हैं। मंदिर निमार्ण की कलाकारी नागवंशी शासकों द्वारा निर्मित मंदिर की तरह नक्काशा गया हैं।
Samloor Shiv Mandir Dantewada | करली महादेव मंदिर दंतेवाड़ा
इस मंदिर को करली महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। इसकी एक मान्यता ऐसा भी की Samloor Shiv Mandir के पास ही स्थित तालाब के मिट्टी से रातों-रात इस मंदिर का निर्माण किया गया हैं। जो दिन होने पर पूरा मंदिर पत्थर में परिवर्तित हो गया हैं। और इस मंदिर को भगवान् विश्वकर्मा जी ने बनाया हैं। यह मान्यता ग्रामीण आज भी पर्यटकों को बताते हैं।
बारसूर की मंदिरो से मिलती जुलती इस मंदिर में महाशिवरात्रि के अलावा माघी पूर्णिमा (माघी पुन्नी) के दिन भी भव्य मेला लगता हैं। जिसे देखने शिव भक्तो की भीड़ लग जाती हैं।
How to Reach Samlur Shiv Mandir
यहाँ पहुंचने के लिए आपको मुख्यतः दो प्रमुख रास्ते मिलेंगे। जिसमे से एक गीदम से मिटियापुर रोड में गुमरगुंडा आश्रम से 3 किमी अंदर हैं। ये रास्ता आपको समलूर गांव पहुंचा देगा। इसके अलावा दंतेवाड़ा में चितालंका से बेलगाम होते हुए भी यहाँ पहुँच सकते हैं।
Samlur Shiv Mandir जगदलपुर से 86 किमी एवं गीदम विकासखंड से महज 13 किमी की दुरी में स्थित हैं। कलात्मक प्रतिमाओं से सुसज्जित बस्तर संभाग में पहुंचने के बहुत सारे रास्ते और आवागमन के भिन्न-भिन्न माध्यम हैं। आसानी से आप प्रकृति की गोद में बसा हुआ बस्तर पहुँच सकते हैं।
रहने खाने-पीने के लिए बड़े-बड़े होटल, लाज, रेस्टोरेंट जगदलपुर, दंतेवाड़ा, गीदम जैसे शहरों में 24×7 उपलब्ध रहती हैं। आप इस जगह पर शहरी क्षेत्र के भोजन के अलावा लोकल फ़ूड (Traditional Food) का आनंद उठा सकते हैं।
Tourist Places in Dantewada | दंतेवाड़ा के पर्यटन स्थल
दोस्तों वैसे तो यहाँ बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। किन्तु हम आपको कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों की जानकारी प्रदान कर रहे हैं –
- दंतेश्वरी माता मंदिर
- ढोलकाल गणेश ट्रैकिंग पॉइंट
- मामा-भांजा मंदिर बारसूर
- बारसूर शहर
- बैलाडीला पहाड़ी
- बत्तीसा मंदिर बारसूर
- गामावाड़ा स्मृति संग्रहालय
- सात धारा जलप्रपात
- फुलपाड़ जलप्रपात
- बचेली
Samlur Shiv temple Youtube Video
This Video make a YouTuber – Bastar Bhushan
11वीं शताब्दी
बस्तर क्षेत्र के दंतेवाड़ा जिला में स्थित हैं।
महाशिवरात्रि और माघ पूर्णिमा के दिन
जब आप बस्तर ट्रिप पर गए हो।
करली महादेव
नागवंशी शासक सोमेश्वर देव की महारानी सुमल महादेवी ने निर्माण करवाया था।
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Cgtourism Opinion – दोस्तों यह मंदिर पुरातत्व विभाग द्वारा वर्ष 2010 में ही सरंक्षित कर चूका हैं। किन्तु साल दर साल बीतने के कारण, इस मंदिर का एक छोर जमीन के अंदर धस रहा हैं। इस मंदिर में आप अपना समय निकलकर जरूर प्रस्थान करें। यहाँ आपको नागवंशी काल के मंदिर निर्माण की जानकारी अवश्य प्राप्त होगी।