Shivarinarayan Dham Chhattisgarh

Shivarinarayan is an important part of Chhattisgarh tourism point of view. In this place, the confluence of three rivers, Mahanadi, Shivnath and Jonk rivers. At the same time, the religious importance of this place is also high. Because Lord Ram had come here during his exile.

Shivarinarayan Chhattisgarh image

Shivarinarayan Chhattisgarh | शिवरीनारायण छत्तीसगढ़

आदिकाल से छत्तीसगढ़ अंचल धार्मिक एवं सांस्कृतिक केंद्र रहा हैं। उन्ही में से एक शिवरीनारायण हैं। जिसमे तीन नदियों का संगम, महानदी, शिवनाथ, और जोंक नदी हैं। इस जगह को भारत का प्रयाग भी कहा जाता हैं। कहा जाता हैं भगवन श्रीराम मॉड नदी के तट से होते हुए चंदरपुर पहुंचे, चंदरपुर से Shivarinarayan होते हुए महानदी के संगम पर पहुंचे थे। जहाँ पर उन्हें मतंग ऋषि का आश्रम मिले। शिवरीनारायण से लगा हुआ ग्राम खरौद में उन्होंने कुछ समय व्यतीत किया। खरौद में लक्ष्मणेश्वर शिव मंदिर, सबरी मंदिर जैसे पुरातन मंदिर अद्भुत कलाकृतियों व नक्काशियों के साथ विद्यमान हैं।

 शिवरीनारायण छत्तीसगढ़ photo

कल्चुरी कालीन स्थापत्य कला को देखने से अपने आप ही रोमांच होने लगती हैं। इस जगह में घूमने के लिए बहुत सारे मंदिर हैं। जिसका उल्लेख नीचे मंदिरवार दिए हैं। महानदी के संगम में नौकाविहार का आंनद लेने वालों के लिए नौका प्रतिदिन चलता हैं। प्रतिवर्ष यहाँ 15 दिनों का मेला का भी आयोजन होता हैं।

किवदंती/मान्यता –

यह स्थान रामायण कालीन रामभक्त शबरी की तपोभूमि था। जिसमे शबरी माता ने श्रीराम भगवान्य को मीठे व जूठे बेर खिलाये थे। शबरी के नाम पर ही यह शबरीनारायण हो गया। यहाँ शबरी का ईंटों से बना एक प्राचीन मंदिर भी हैं। जो सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर की तरह पूर्णतः ईंटों से बना हैं। इसके अलावा भी बहुत से ऐसे प्रमाण हैं तो इस तथ्य का समर्थन करता हैं।

शिवरीनारायण मेला छत्तीसगढ़ | Shivarinarayan Mela Chhattisgarh

Shivarinarayan Mela Chhatttisgarh के सबसे प्राचीनतम और लम्बे समय तक चलने वाला मेला हैं। लोग यहाँ अपने पुरे परिवार सहित कई सप्ताह तक रुक कर, शिवरीनारायण मेला का आनंद उठाते हैं। प्राकृतिक छटा से भरपूर यह मेला प्रति वर्ष माघी पुन्नी (माघ पूर्णिमा) से प्रारम्भ होकर महाशिवरात्रि का चलता हैं। जिसमे बड़े-बड़े झूले से लेकर दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले समस्त चीजों का क्रय-विक्रय होता हैं।

माघ पूर्णिमा के दिन ब्रम्हमुहूर्त में शाही स्नान से प्रारम्भ होता हैं। जिसमे भगवान् नर-नारायण की श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चना होने के बाद भक्तो के लिए मंदिर के दरवाजा खोल दिया जाता हैं। जिससे भक्त अपनी मनोकामना मांग सके। आप भी इस भव्य मेले का आयोजन करने के लिए जरूर पधारे।

Shivirinarayan temple | शिवरीनारायण मंदिर

यहाँ अनेक राजवंशों के साथ विविध आयामी संस्कृतियाँ पल्लवित व पुष्पित हुई हैं। यह पावन भूमि रामायण कालीन घटनाओं से जुडी हुई हैं। यही कारण हैं की छत्तीसगढ़ के इस शिवरीनारायण में शैव, वैष्णव, जैन एवं बौद्ध धर्मों का समन्वय रहा हैं। सभी मंदिर पूर्ण रूप से भगवान विष्णु समर्पित हैं, जिनकी भव्यता देखते ही बनती हैं।

Shivarinarayan temple | शिवरीनारायण मंदिर  photo
  • नर नारायण मंदिर – यह प्राचीन मंदिर लगभग 12वीं सदी ईसवी में निर्मित हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण राजा शबर ने करवाया था। इस मंदिर की खासियत हैं की यह स्थापत्यकला व मूर्तिकला हैं। यहां बहुत बारीक़ बेल बूटों का सुन्दर अलंकरण किया गया हैं। यह मंदिर मेरु शिखर के रूप में हैं, जो श्रीयंत्र सा प्रतीत होता हैं।
    मंदिर के मंडप में बांयी ओर भगवान् लक्ष्मीनारायण की एक प्राचीन प्रतिमा हैं। इस मूर्ति के चारों ओर भगवान् विष्णु के सभी 10 अवतारों का अत्यंत सूक्ष्म व सुन्दर रूप से नक्काशी (चित्रांकन) किया गया हैं। थोड़ा आगे बढ़ने पर मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार पर दंड व चवन लिए भगवान् विष्णु के पार्षद शंख पुरुष और चक्रपुरुष खड़े हैं।
    शंखपुरुष के ठीक ऊपर गंधर्व विद्याधर दर्शनीय हैं। पुरे प्रवेश द्वार ,में गंगा, यमुना, सरस्वती, नाग, नागिन, कछुआ, तथा भगवान् विष्णु के द्वारपाल जय-विजय की भी चित्र को प्रदर्शित किया गया हैं और उनके साथ में त्रिवेणी अर्थात गंगा, यमुना, सरस्वती की मूर्तियां हैं। प्रवेश द्वार के ठीक ऊपर बीच में भगवान गणेश की लघु आकर की प्रतिमा हैं। इसके ऊपर भगवान विष्णु के सभी अवतारों एवं नवग्रहों का मनोहारी चित्रण किया गया हैं। मंदिर के गर्भ-गृह में भगवान् नर-नारायण की नयनाभिराम मूर्ति के दर्शन होते हैं। यह मूर्ति खुदाई के दौरान प्राप्त हुई हैं। इस मूर्ति के बगल में लक्ष्मण जी की मूर्ति स्थापित हैं। भगवन नारायण की मूर्ति बलुआ पत्थर की बनी हुई हैं।
  • केशव नारायण मंदिर – 12वीं शताब्दी का यह मंदिर नर-नारायण मंदिर के ठीक सामने हैं। इस मंदिर में भगवान् विष्णु की अत्यंत प्राचीन भव्य प्रतिमा हैं। इस मूर्ति के चारों ओर भगवान् विष्णु के दस अवतारों का सुन्दर अंकन हैं। इस मंदिर में दो स्तम्भ हैं। एक स्तम्भ में सुन्दर चित्रकारी की गयी हैं, जबकि दूसरे स्तम्भ को खाली छोड़ दिया गया हैं। प्राचीन मान्यता के अनुसार नारायण भगवान के पैर के पास जिस स्री का चित्रांकन किया गया हैं, वही शबरी हैं। पंचस्थ तल विन्यास पर निर्मित सुन्दर मंदिर ईंटों से सुसज्जित हैं। इस मंदिर का निर्माण कल 9वीं सदी ईस्वी माना जाता हैं। इस मंदिर के प्रवेश द्वार स्थित स्तम्भ पर विष्णुके व्यूह स्वरूप 24 अवतारों का अंकन उल्लेखनीय हैं।

  • चंद्रचूड़ महादेव – नरनारायण मंदिर के बाजू में शिवजी का एक प्राचीन मंदिर हैं जिसे चंद्रचूड़ महादेव का मंदिर कहा जाता हैं। चेदि संवत 919 का बना यह मंदिर नारायण के इस क्षेत्र में अपवाद के रूप में लिया जा सकता हैं। इस मंदिर में कलचुरि शिलालेख भी प्राप्त हुए हैं।

  • जगन्नाथ मंदिर – सन 1927 में बना यह मंदिर नरनारायण मंदिर से कुछ कदम की दुरी पर हैं। मंदिर की रचना कुछ पूरी जगन्नाथ मंदिर की तरह जान पड़ता हैं। इस मंदिर के समीप ही एक वट वृक्ष हैं जिसे “कृष्ण वट” या “माखन कटोरी” नाम से सम्बोधित किया जाता हैं। इस पेड़ की खासियत यह हैं की इसका हर पत्ता दोने के आकर का हैं। माघपूर्णिमा के अवसर पर हर साल यहाँ मेला लगता हैं। एक प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान् जगन्नाथ माघपूर्णिमा को भगवान् जगन्नाथर साल यहाँ आते हैं। उस दिन लोगो का उत्साह देखते ही बनते हैं।

  • त्रिवेणी संगम – शिवरीनारायण तीन नदियों महानदी, शिवनाथ व जोंक नदी का संगम होता हैं। संगम का जल अत्यंत स्वच्छ रहता हैं और यहाँ आने वाले सैलानी इसका पूर्ण आनंद उठा सकते हैं। नदियों के आजु-बाजु लगे तरबूज-खरबूज और ककड़ी के हरे-भरे फसल अत्यंत सुन्दर एवं मनभावन लगते हैं।

  • खरौद का शिवमंदिर – Shivrinarayan से 3 किमी दूर खरौद शिव मंदिर व शैव मठ के कारण शिवाकाशी कहलाता हैं। यहाँ शिव भगवान् के विराट स्वरुप को दूल्हा देव के रूप में पूजा की जाती हैं। शिव के साथ शक्ति एवं कंकालिन देवी की पूजा ग्राम देवी के रूप में की जाती हैं। नगर के प्रवेश द्वारों पर तालाब एवं उनके भव्य मंदिर स्थित हैं। इसमें लक्ष्मणेश्वर मंदिर, पूर्व में शीतला माता का मंदिर, उत्तर में सागर का देवधरा तालाब और हनुमान की कीर्तिपताका, दक्षिण में शबरी देवी का कलात्मक मंदिर हैं तथा मध्य में इंदलदेव का मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। जिसमे विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों को जगह-जगह पे नक्काशा गया हैं।

शिवरीनारायण का इतिहास | History of Shivarinarayan

इतिहासिक दृष्टि से देखे तो इनमें लक्ष्मणेश्वर महादेव का मंदिर सबसे प्राचीन हैं। सिरपुर के सोमवंशी राजाओं द्वारा बनवाये गए इस मंदिर में जड़ित एक खंडित शिलालेख में इन्द्रबल तथा ईशानदेव नामक दो शासकों का उल्लेख हैं। यहाँ ई.सन 1192 के एक शिलालेख में कलिंगराज से रत्नदेव तृतीय तक हैहयों वंशों की पूर्ण वंशवली का विवरण हैं। लगभग 1300 साल पुराने 7वीं शताब्दी के इस मंदिर के गर्भ गृह में एक अद्भुत व अनोखा शिवलिंग हैं। इसमें सवा लाख लिंग हैं। इस सबंध में प्राचीन मान्यता हैं की लंका विजय के पश्चात् जब लक्ष्मण वापस आयोध्या लौट रहे थे तब वे कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गए और वहीं गिर गए। तब उन्होंने सवा लाख शिवलिंग बनाकर भगवान् शंकर का आह्वान किया, तब शंकर भगवान ने उन्हें रोग मुक्त कर दिया। यहाँ हर वर्ष फरवरी माह में मेला लगता हैं और महाशिवरात्रि में भव्य मेला लगता हैं। यह भी कहा जाता हैं की लक्ष्मेश्वर शिवलिंग पर सवा लाख चावल के दाने चढाने से दर्शनार्थियों की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं।

Accommodation, food, and how to reach Shivarinarayan

Accommodation (आवास) – दोस्तों यहाँ रहने के लिए आराम से होटल, लॉज, धर्मशाला मिल जायेगा। जो 700 रुपए से 5000 तक जा सकता हैं।

Food (भोजन) – दोस्तों बड़ा शहर होने कारण यहाँ आपको किसी भी तरह की परेशानी भोजन के लिए नहीं मिलेगा। यहाँ आपको 70 रूपये थाली में भरपेट भोजन करने को मिल सकता हैं।

Way – नीचे आपको छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों और उनके माध्यमों को दर्शाया गया हैं –

  • हवाई मार्ग – निकटतम हवाई मार्ग राजधानी रायपुर के स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा माना में स्थित हैं।
  • रेलवे मार्ग – निकटतम रेल मार्ग जांजगीर और चाम्पा में हैं।
  • सड़क मार्ग –
    Raipur – 129 Km
    Bilaspur – 64 Km
    Janjgir-Champa – 44 Km
    Balodabazar – 52 Km

Nearby Place in Shivarinarayan

आसपास के कुछ चिन्हित स्थान, जहाँ आप घूमने के लिए जा सकते हैं –

  • सिद्धखोल जलप्रपात – बहुत ही सुन्दर वाटरफाल हैं। जो शिवरीनारायण से लगभग 34 किमी की दुरी होगा।
  • बारनावापारा वाइल्डलाइफ – इस जगह पे जंगल सफारी कर सकते हैं तथा सही ही Tribal.well ग्रुप की तरफ से camping , tracking कराया जाता हैं।
  • सिरपुर – इस जगह से सिरपुर की दुरी लगभग 73 किमी हैं। ऐतिहासिक नगरी के लिए महशूर हैं। यहाँ आप खुदाई से मिले प्राचीन शिलालेख, मंदिर, मूर्ति को देख सकते हैं।
  • धसकुड जलप्रपात – महासमुंद जिले का एक सुन्दर वाटरफाल जो मौसमी हैं यह सिरपुर जाने वाले रस्ते पे पड़ता हैं।

Trip Experience – दोस्तों आप इस जगह को एक दिन दे सकते हैं। ताकि आप नौकाविहार के साथ सभी प्राचीन मंदिर को भी देख सकते हैं। आपको यहाँ माघपूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि के बीच आना चाहिए। इस समय यहाँ मेला लगा हुआ होता हैं। जिससे की आप रात के समय का भी फायदा उठा सकें।


Shivarinarayan Pin Code?

49557

Shivarinarayan to Raipur Distance?

129 Km.

Shivarinarayan to Bilaspur Distance?

64 Km

Shivarinarayan Mela 2023?

Magh Purnima to Mahashivratri.

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