Jogimara Gufa Chhattisgarh

अजंता एलोरा, एलिफेंटा जैसे अत्यंत प्राचीन तथा रंगीन भित्तिचित्रों से सुसज्जित जोगीमारा गुफा (Jogimara gufa) अपने पुराऐतिहासिक धरोहर के लिए विश्व विख्यात हैं। भारत के प्राचीन गुफाओं में अपनी अलग पहचान छोड़ती यह गुफा, भगवान् श्रीराम, सीता और लक्ष्मण जी के वन यात्रा तथा कालिदास जी के मेघदूतम रचना के लिए भी प्रसिद्ध हैं।

इस लेख में हम आपको यहाँ के प्राचीन भित्तिचित्रों, गुफा, कुंड तथा इतिहास से अवगत कराएँगे, साथ ही यहाँ जाने का Best Time भी बताएँगे। जिससे की यह लेख आपके शैक्षणिक अथवा घूमने के उद्देश्य में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।

Jogimara Gufa Chhattisgarh | जोगीमारा गुफा छत्तीसगढ़  Thumb Image

Jogimara Gufa Chhattisgarh | जोगीमारा गुफा छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला में स्थित जोगीमारा गुफा अपने प्राचीनतम रंगीन भित्तिचित्रों, जो लगभग 3री सदी की कल्पित रेखाओं से चित्रित हैं। अंबिकापुर से 50 किमी की दुरी में स्थित Jogimara Gufa Chhattisgarh, पत्थरों से निर्मित विचित्र चित्र को अंकित करती, विभिन्न आकृतियां, ब्राम्ही तहत मगधी लिपि की शब्द, इतिहास में रूचि रखने वाले लोगों को अपने ओर अकस्मात ही खिंच लेती हैं।

उदयपुर विकासखंड के ग्राम पुता में स्थित रामगढ की पहाड़ी में गुफा, कुंड तथा प्राचीन मूर्तियां, बहुत सी धार्मिक एवं प्राकृतिक चीजें स्थित हैं। जिसे देखने यहाँ दूर-दूर से पर्यटक यहाँ पहुंचते हैं-

  • जोगीमारा गुफा या हाथीपोल
  • सीता बेंगरा नाट्यशाला
  • दुर्गा गुफा
  • चन्दन माटी गुफा
  • श्रीराम जानकी मंदिर
  • महाकवि कालिदास की रचना स्थली
  • कभी ना सूखने वाली पानी की कुंड

Jogimara Caves | Hathipol | जोगीमारा गुफा या हाथीपोल

जोगीमारा गुफा को हाथीपोल या हथफोड़वा के नाम से भी जाना जाता हैं। यह गुफा इतनी बड़ी की एक हाथी आराम से इस जगह में विश्राम कर सकते हैं। Jogimara Caves में 300 ई. पूर्व के रंगीन भित्तिचित्र, पत्थरों पे उकेरी गई अनेक चित्र पायी गई हैं। जो अपने आप में एक अजूबा से कम नहीं हैं।

इस गुफा में पानी का स्रोत निरंतर बहता रहता हैं। यहाँ के चित्रों में बहुत सारे भवन, पशुओं, और मनुष्यों की आकृतियों को समायोजन करके रखा गया हैं। जो किसी विशेष कथा या घटना को प्रदर्शित करता हैं। जोगीमारा गुफा में ब्राम्ही और मगधी लिपि में लिखा हुआ एक शिलालेख भी प्राप्त हुआ हैं।

एक दीवाल में पाए गए चित्र अनुसार – एक सभा में चारों ओर नृत्य करती नर्तकी हैं, बीच में मुख्य नृत्यांगना हैं। जो संगीत की लय में नृत्य करती नजर आती हैं। एक चित्रानुसार लड़की और लड़के के प्रेम कहानी को प्रदर्शित करती हैं। जिसे बहुत सारे लोग कृष्ण कथा के रूप में भी देखते हैं। जिसमें पाया गया हैं की दो व्यक्ति पेड़ पर चढ़े हुए हैं, कुछ बन्दर हैं, फल लगे हुए हैं, कुछ लड़कियां नहा रही हैं, जिसके कपड़े बाहर हैं।

जोगीमारा गुफा की इतिहास | Jogimara Caves Story

निर्माणकाल –

कुछ विद्वानों का कहना हैं की यह गुफा सम्राट अशोक कालीन कला कृति हैं। जो सम्राट अशोक के समय हुआ होगा।

यहाँ प्राप्त हुए अभिलेख के अनुवाद अनुसार द्वारा – ऐसा माना जाता हैं की देवदासी सुतनुका ने यहाँ स्थित शैल-भित्तिचित्रों का निर्माण करवाया होगा।

किवदंती –

रामगिरि की घने जंगलों वाले पहाड़ी में इस तरह की रंगीन और बेहतरीन कलाकृति किसने करवाई होगी, इसे सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता हैं। इस देवपहाडी को छत्तीसगढ़ के लोग रामायण काल से भी जोड़ कर देखते हैं।

क्षेत्रीय परम्परा के अनुसार जब भगवान् श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास दिया गया, तब इस जगह में कोरिया के सीतामढ़ी हरचौका से प्रवेश करके रामगढ के पहाड़ी पर पहुंचा होगा, यहाँ से उन्होंने दंडकारण्य के विभिन्न स्थानों को कूच करते हुए कई वर्षो तक चित्रकूट में निवास किया। छत्तीसगढ़ के जंगलों को दंडकारण्य के नाम जाना जाता हैं। छत्तीसगढ़ शासन ने इस जगह को “रामवन पथ गमन” के लिए सुरक्षित कर रखा हैं।

Sitabengra Natyashala | सीताबेंगरा नाट्यशाला

एशिया की प्राचीनतम तथा सबसे बड़ी नाट्यशाला सीताबेंगरा की गुफा में हैं। जो जोगीमारा गुफा के पास ही स्थित हैं। जोगीमारा गुफा के उत्तर दिशा में Sitabengra Natyashala पड़ता हैं। इसके कुछ ही दुरी में हाथीपोल नमक जगह भी दिखाई देता हैं। जहाँ से निरंतर पानी की धारा निकलती रहती हैं।

क्षेत्रीय लोगों द्वारा ऐसा माना जाता हैं की सीताबेंगरा या सीताबेंगा गुफा में माता सीता कुछ समय के लिए निवास करती थी। यहाँ स्थित भित्तिचित्रों में किसी भी तरह के धार्मिक चिन्ह और प्रतिक दिखाई नहीं देता हैं। किन्तु एक चित्र के अनुसार कृष्णा कथा की चित्र प्रदर्शित होती, प्रतीत होता हैं।

चित्रों की कलाकृति या अनुवाद | Artwork of Picture in Jogimara Gufa Ramgarh

अध्ययन किये गए विद्वानों के मतानुसार, चित्रों की व्याख्या इस प्रकार से हैं –

  • चारो ओर नृत्य करती नर्तकी, बीच में बैठी हुई नृत्यांगना, था संगीतकार
  • हाथी एवं कई पुरुषों की आकृतियां
  • पेड़ के नीचे बैठे कुछ लोग
  • लिली के पुष्प पर नृत्य करती
  • लड़की का खेलना
  • कृष्ण कथा – निवस्त्र हुई लड़कियां
  • हाथियों का निकलती जुलुस
  • रथों का फूलो से सजना
  • पक्षियों का समूह

महाकवि कालिदास की रचना स्थली रामगढ

दोस्तों आपको महाकवि कालिदास की रचना स्थली भी देखने को मिलेगी। यही बैठकर महाकवि कालिदास जी ने अपनी महान गाथा “मेघदूतम” की रचना की हैं। जिसमे उन्होंने प्रेमी-प्रेमिका की विरह को दर्शाया हैं। रामगढ़ की पहाड़ी को देवगिरि, रामगिरि के नाम से भी जाना जाता हैं।

Durga Cave Ramgarh | दुर्गा गुफा

रामगढ की पहाड़ी कई प्राकृतिक गुफाओं, जल स्रोत, तथा एडवेंचर के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्ही में से एक हैं दुर्गा गुफा। जहा पहुंचने के लिए आपको देवगिरि की पहाड़ी के किनारे होते हुए जाना होगा। नीचे देखने से खाई के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देखा।

Durga Cave Ramgarh में आपको दुर्गा माता जी का मंदिर देखने को मिलेगा। जहाँ का वातावरण सामान्य से कम देखने को मिलेगा, गर्मी के दिनों में यहाँ गर्मी का अहसास भी नहीं होगा। इसके पास ही एक कुंड हैं, जहाँ बारोमास पानी बनी रहती हैं, जो निर्मल व शीतल हैं। जिसके कारण इसे दुर्गा कुंड कहते हैं।

Chandan Mati Cave | चन्दन माटी गुफा रामगढ

चन्दन माटी गुफा जैसे की नाम से ही पता चल रहा होगा, की यहाँ चन्दन का वृक्ष होगा। किन्तु इस गुफा में चन्दन की पेड़ नहीं हैं, लेकिन इस गुफा के अंदर मिट्टी पायी जाती हैं, जो चन्दन की तरह सुगंध होती हैं, जिसे पत्थर पर घिसकर माथे पर लगाया जाता हैं।

Chandan Mati |Cave की वातावरण भी दुर्गा गुफा की तरह शीतल रहता हैं, इस गुफा के पास में ही चन्दन कुंड हैं। जहाँ हमेशा शीतल जल बनी रहती हैं।

Moutain Pool in Ramgarh Pahdi | पर्वत कुंड रामगढ

बड़े से पहाड़ को काटकर बनाया हुआ लगता हैं यह पर्वत कुंड। किन्तु यह कुंड कई हजार सालो से हैं, जिसमे पहाड़ों से रिस-रिस कर जल नीचे गिरता रहता हैं। जहां हमेशा पानी बनी रहती हैं।

कहा जाता हैं जब श्रीसीतारामजी और लक्ष्मण जी अपने वनवास काल के दौरान जब रुके थे तब यही वे लोग स्नान आदि क्रियाएं करते थे। जिसका जल अत्यंत शीतल व निर्मल हैं। जिसका पानी कभी नहीं सूखता।

Best time to visit Sitabengra & Jogimara Cave

Sitabengra & Jogimara Gufa में आप कभी भी पहुंच सकते हैं। किन्तु आप प्रचंड गर्मी और अत्यधिक वर्षा ऋतु के समय यहाँ प्रवेश ना करे। यह पहाड़ों की खोह में होने के कारण गर्मी व फिसलन अधिक होने के कारण बरसात के समय लोग यहाँ आने से हिचकिचाते हैं। यहाँ आने का Best Time – अक्टूबर से मार्च/अप्रैल को माना गया हैं।

Food Arrangement in Ramgarh Hills

यह पहाड़ों के बीच होने के कारण भोजन व्यवस्था देखने को नहीं मिलेगा। खाने-पीने की व्यवस्था आप जिला मुख्यालय अंबिकापुर से होते आइये। यहाँ आपको कुछ ही दुकान देखने को मिल सकता हैं। जहाँ पे आपको छत्तीसगढ़िया फ़ूड मिल जायेगा।

Top 3 Best Tourist Places in Sarguja

3202 फ़ीट की ऊंचाई वाले Jogimara Gufa एवं रामगढ के पहाड़ी के आसपास आपको बहुत सारे पर्यटन स्थल देखने को मिल जायेगा। जिनमे से आपको बुका जैसी खूबसूरत लेक, देवपहरी जैसे जलप्रपात, देखने को मिल जायेगा। हम आपको यहाँ सरगुजा जिला के Top 3 Best Tourist Places के बारे में बताना चाहेंगे –

  • मैनपाट पर्यटन स्थलमैनपाट में 15 से अभी अधिक पर्यटन स्थल हैं, जिसे देखने के लिए आप यहाँ जा सकते हैं।
  • गुरु घांसीदास टाइगर रिजर्वकोरिया जिले में पड़ने वाले इस टाइगर रिजर्व में सीतामढ़ी हरचौका जैसे बड़े-बड़े पहाड़, खूबसूरत झरने, रस्ते में हसदेव नदी का उद्गम स्थल देखने को मिल जायेगा।
  • रानीदाह झरना एवं कैलास गुफा – खूबसूरत झरना व चुना पत्थर का बेजोड़ आकृति वाला कैलास गुफा देखने के लिए जरूर जाना चाहिए।

Jogimara Caves Ramgarh Chhattisgarh || जोगीमारा गुफा रामगढ़ सरगुजा अंबिकापुर

Jogimara Caves Ramgarh Video Credit to YouTuber – Chhattisgarh Rider

Cgtourism.in Opinion – दोस्तों छत्तीसगढ़ में ऐसी बहुत सी गुफाएं जो अपने आप में प्रकृति से जुड़े हुए हैं। किन्तु इस गुफा को भारत के टॉप 5 गुफाओ में शुमार किया गया हैं। इस लेख के द्वारा हम आपको वहां की खूबसूरती को बयां नहीं कर सकते हैं। वहां आप जाकर ही एशिया की बड़ी गुफाओं में शुमार इस गुफा को जान सकते हैं।

जोगीमारा गुफा किस धर्म से सबंधित हैं?

शुरुवाती विद्वानों के अनुसार यह किसी भी धर्म से सम्बंधित नही हैं। किन्तु छत्तीसगढ़ सरकार के अनुसार हिन्दू धर्म के श्रीराम से मिलती हैं।

जोगीमारा गुफा कहा स्थित हैं?

सरगुजा जिला के उदयपुर विकासखंड स्थित रामगढ़ की पहाड़ी में स्थित हैं।

सीताबेंगरा एवं जोगीमारा गुफा चित्र?

जोगीमारा गुफा चित्र – Jogimara gufa chitra

जोगीमारा गुफा किस काल की होगी?

विद्वानों के अनुसार लगभग 300 ई.पूर्व।

जोगीमारा में कुल कितनी गुफाये हैं।

लगभग 4 से 6 गुफाएं स्थित हैं।

नर्मदा नदी कहाँ से निकलती हैं?

नर्मदा नदी अमरकंटक मध्यप्रदेश से निकलती हैं।

क्या नर्मदा नदी जोगीमारा गुफा से निकलती हैं?

नहीं।

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